यदि किरायेदार मकान खाली करने पर आनाकानी करें तो कानून के जुर्माने और अपील के प्रावधान इस्तेमाल करें

House Rent laws: भारत में किरायेदारी से जुड़े कई विवाद सामने आते हैं। इन विवादों को निपटाने के लिए सरकार ने मकान मालिक और किरायेदार को लेकर कुछ कानून बनाए हैं। इन कानूनों के तहत मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकारों की रक्षा की जाती है। मकान मालिक को किराया वसूलने का अधिकार है लेकिन वह किरायेदार को बिना किसी कारण के बेदखल नहीं कर सकता है।

किरायेदार को भी मकान मालिक की सहमति के बिना संपत्ति में कोई परिवर्तन नहीं कर सकता है। किराया नियंत्रण अधिनियम, 1948 मकान मालिकों और किरायेदारों दोनों के हितों को संतुलित करने और उनकी रक्षा करने के लिए पारित किया गया था। यह अधिनियम कुछ शहरों में किराए को नियंत्रित करता है।

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यह कहता है अधिनियम

किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत, किरायेदार को अनुचित किराया चुकाने से भी बचाता है। यदि मकान मालिक किराया बढ़ाने का प्रयास करता है तो किरायेदार को किराया नियंत्रण प्राधिकरण से अपील करने का अधिकार है।

भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 के तहत एक किरायेदार को मकान मालिक को किराया देना जारी रखना चाहिए भले ही किरायेदारी का अनुबंध समाप्त हो गया हो। यदि किरायेदार मकान मालिक के बार-बार कहने पर भी परिसर को खाली नहीं करता है तो मकान मालिक किराये में वृद्धि कर सकता है।

समय के बाद इतना किराया देना होगा

किरायेदारी से जुड़े कानूनों के तहत, यदि एक किरायेदार किरायेदारी का अनुबंध समाप्त होने के बाद मकान मालिक के बार-बार कहने पर भी परिसर को खाली नहीं करता है तो मकान मालिक किराये में वृद्धि कर सकता है। इस मामले में मकान मालिक किराये में वृद्धि कर सकता है-

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  • पहले दो महीने के लिए किराये के दोगुने तक।
  • उसके बाद किराये के चार गुने तक।

कुछ मौको पर छूट भी मिलेगी

किरायेदारी से जुड़े कानूनों के तहत, यदि किरायेदार के साथ या उसके परिवार में कोई अप्रत्याशित घटना हो जाती है तो मकान मालिक किराएदार को घटना की समाप्ति की तारीख से एक महीने की अवधि के लिए परिसर में रहने की अनुमति देगा।

इस मामले में अप्रत्याशित घटना किसी भी ऐसी घटना को संदर्भित करती है जो किरायेदार या उसके परिवार के सदस्य के नियंत्रण से बाहर है। इसमें शामिल हो सकते हैं-

  • मृत्यु
  • गंभीर बीमारी
  • विकलांगता
  • प्राकृतिक आपदा

दोनों पक्षों के पास दस्तावेज़ हो

किसी भी किरायेदार को कमरा या घर देने पर लिखित दस्तावेज तैयार करना बहुत आवश्यक है। इसे किरायेदारी अनुबंध कहा जाता है। किरायेदारी अनुबंध एक कानूनी दस्तावेज है जो मकान मालिक और किरायेदार के बीच एक समझौते को औपचारिक रूप देता है। यह दोनों पक्षों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को निर्धारित करता है।

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